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उत्थित पाश्र्व कोणासन

अर्थ-

उत्थित यानि खड़ा, अतः खडे़ होकर किये जाने वाले आसनों के नामों में उत्थित शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इस आसन में हम खड़े होकर अपने शरीर के एक पाश्र्व या तरफ (बगल) में कोण बनाते हैं, अतः इसे उत्थित पाश्र्व कोणासन कहते है।

विधि-

दोनों पैरों में चार से साढे चार फीट का फासला रखकर खड़े हो जायें। दाहिने पैर के पंजे को स्थिर रखते हुये एड़ी को उठाकर अन्दर की तरफ 90 डिग्री के स्थान पर रखे दें, ताकि यह बांये पांव से एक समकोण की स्थिति में आ जाये। बांये पैर की एडी को स्थिर रखते हुये पंजे को उठाकर अन्दर की ओर 60 डिग्री के स्थान पर रखे दें। इसके बाद, दाहिने पैर को घुटने से मोडते हुये, जांध को जमीन के समानान्तर ले आयें। ध्यान रखें कि घुटना टखने से आगे नहीं जाये। शरीर का 70 से 80 प्रतिशत वजन दाहिनी जांध पर डालते हुये, दाहिने हाथ को कोहनी से मोडकर जांध पर रख दें। इसके पश्चात् बांये हाथ को उठाकर सिर से उपर ले जायें और बांये कान से लगाकर इस प्रकार तान दें कि बांये पैर के पंजे से लेकर हाथ की अंगुली तक एक सरल रेखा में आ जाये। अब बांये पैर को जमीन की तरफ और हाथ को उपर की तरफ लगातार तानते हुये इस स्थिति में एक मिनट तक रूके। धीरे-धीरे विपरीत क्रम में वापस लौटकर यही क्रिया दूसरी ओर भी एक मिनट तक करें। समस्थिति में विश्राम करें।

लाभ-

टखनों, घुटनों एवं जांघों को ठीक करता है। पिण्डलियों व जांघों की त्रुटियां ठीक करता है। सीना विकसित करता है। कमर व नितम्बों की मोटाई कम करता है। साईटिका का दर्द दूर करता है। नस नाडियों की वेदना को कम करता है इससे आंतों की क्रमाकुंचन क्रिया में वृद्धि के द्वारा मल विसर्जन में सहायता मिलती है।

सावधानी-

जो लोग यह आसन किसी कारणवश नहीं कर सकते हैं वे दीवार के सहारे से भी कर सकते है। आसन करते समय दृष्टि अपनी बाहों की तरफ रखें। गर्दन पर किसी भी प्रकार का तनाव नहीं होना चाहिये। अगर तनाव हो तो गर्दन को सामान्य रखियें।

Yogacharya Dhakaram
Founder of YogaPeace Sansthan, Yogacharya Dhakaram is an internationally acclaimed yoga teacher and healer with over 30 years of experience. He has trained thousands of students in yoga and is known for his depth of knowledge and his ability to turn around lives with yoga.
Published
14-Aug-2020
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