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भुजंगासन

अर्थ-

भुजंग एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है सर्प। इस आसन में हमारे शरीर की आकृति फन उठाये सर्प की तरह होती है अतः इसे भुजंगासन कहते है।

विधि-

कम्बल/मैट पर पेट के बल लेट जायें। मस्तक जमीन से लगा रहेगा। पैरों के पंजे, एड़ी, टखने व घुटने मिलाकर सीधे रखें, हथेलियों को छाती के आस पास जमीन पर टिकाकर (यथासंभव कंधों की बगल में) क्रमशः ललाट, नाक, ठुड्डी, गर्दन व छाती को उपर की ओर मरोडते हुये जमीन से उठा दें। यहां तक की कमर तक का शरीर उपर उठ जाये। आवश्यकतानुसार हाथों का सहारा ले सकते है। अब आपके शरीर की स्थिति एक फन उठाये सर्प के समान
हो गई है। इस स्थिति में कुल्हों की मांसपेशियों को संकुचित करें, ताकि कमर से दबाब हट जायें। 1/2 से 1 मिनट तक आसन में रूके रहे फिर विपरीत क्रम में वापस लेटने की स्थिति में आकर विश्राम करें।

विशेष निर्देश-

छाती को उपर उठाने के बाद ज्यादा से ज्यादा फुलाकर रखने का प्रयास करें।

लाभ-

  1. कंधों व गर्दन की तकलीफ दूर होकर मजबूत बनते है।
  2. भोजनोपरान्त होने वाले पेट के आफरे में अत्यन्त लाभकारी है।
  3. मेरूदण्ड का उचित व्यायाम होकर उसके दोष दूर होते है।
  4. पेट के अन्दरूनी अवयवों को दुरूस्त व सक्रिय करता है।
  5. दमा, मन्दाग्नि व वायुदोषों में इसका विशेष प्रभाव है।
  6. कमर दर्द के लिये अत्यन्त लाभकारी है।
  7. पाचन शक्ति व भूख को बढाता है।
  8. थायराॅयड, पैराथायराॅयड, एड्रीनल और जननांगों से सम्बन्धित अन्तःस्त्रावी ग्रंथियों में रक्त का प्रवाह सुचारू बनाकर उन्हें निर्दोष करता है।

सावधानी-

जिन लोगों की कमर में दर्द रहता है वे या तो हथेलियों को जमीन पर नहीं टिकायें (अधर रखें) और शरीर को अपनी ही ताकत से (हाथों के सहारे के बिना) ऊंचा उठायें या हाथों को हथेलियों से कोहनी तक जमीन पर टिकाकर रखें एवं शरीर को ऊंचा उठाने में हाथों की शक्ति का इस्तेमाल नहीं करें।

Yogacharya Dhakaram
Founder of YogaPeace Sansthan, Yogacharya Dhakaram is an internationally acclaimed yoga teacher and healer with over 30 years of experience. He has trained thousands of students in yoga and is known for his depth of knowledge and his ability to turn around lives with yoga.
Published
04-Sep-2020
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