योगपीठ संस्थान एकम योग अकादमी जयपुर के योगाचार्य ढाकाराम ने कहा कि योग का मतलब परम आनंद की प्राप्ति से है, आनंद तो हर किसी के अंदर समाहित है, लेकिन हम उसे देख नहीं पाते हैं। हम जब साधना करते हैं तो साधना से ही परम योग की प्राप्ति संभव है। भस्त्रिका प्राणायाम का अभ्यास कराते हुए उन्होंने कहा कि योग क्रिया से शरीर का श्वसन तंत्र व रक्त परिसंचरण तंत्र मजबूत होता है, जिससे शरीर सर्दी, जुकाम, खांसी, अस्थमा, निमोनिया व फेफड़ों से संबंधित अन्य बीमारियों से बच सकता है। दून योगपीठ, देहरादून के संस्थापक आचार्य विपिन जोशी ने कहा कि उत्तराखंड के गांवों का यदि योग और आयुर्वेदिक ग्राम के रूप में विकास किया जाए तो गांवों से पलायन रोका जा सकता है।
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