Skip to main content

सूर्यभेदी प्राणायाम

*सूर्यभेदी प्राणायाम*
आप किसी भी आसन में जो आपके लिए आरामदायक हो जिसमें हमारा मेरुदंड (Spine) सीधा रहे दरी, कंबल, कुर्सी या थोड़े सख्त सोफे के ऊपर बैठ सकते हैं बस ध्यान दीजिएगा हमारा मेरुदंड (Spine) सीधा होना चाहिए आंखें कोमलता से बंद हो, हाथों को ज्ञान मुद्रा या अन्य किसी भी आनंददायक मुद्रा का चुनाव आप कर सकते है ! चेहरे पर प्रसन्नता का भाव, हमारा मेरुदंड (Spine) सीधा रहे ! छाती फूला हुआ और पेट की मांसपेशियां एकदम शिथिल गले और चेहरे की मांसपेशियों को एकदम आरामदायक अवस्था छोड़ दें।
 
क्रियाविधि – मन को बाहरी विचारों या विषयों को हटा कर अंतर्मुखी हो जाए जब मन पूरी तरह शांत हो जाए अपनी उंगलियों को नासिका मुद्रा बना बनाकर बाएं नासिका को बंद करके, दाहिनी नासिका से श्वास को बाहर निकाल देंगे पूरा श्वास बाहर निकाल कर दाएं नासिका से धीरे धीरे श्वास अंदर भरने के बाद दाहिनी नासिका को बंद कर दें और बाएं नासिका से धीरे-धीरे छोड़ दें इसी प्रकार लगातार इसका पुनरावर्तन ( दोहराएगे ) करेंगे कम से कम 4 मिनट इस प्राणायाम को करने के बाद अंत में दाहिनी नासिका से पूरा श्वास लेकर अपने हाथों को अपने जांघ पर रखकर कम से कम 1 मिनट स्वास का अवलोकन (Observation)करें।
लाभ – यह प्राणायाम बहुत ही फायदेमंद है सर्दी से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए जैसे- जुखाम, खांसी,अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी इत्यादि समस्याओं को दूर करने में बहुत लाभदायक है।
 
सावधानिया – इस प्राणायाम को गर्मी के मौसम में या गर्मी से संबंधित समस्याओं के दौरान नहीं करना चाहिए जैसे मुंह में छाले, हाइपर एसिडिटी, बहुत सारा पसीना आना या नाक में नकसीर आना आदि ऐसे लोगों को यह प्राणायाम नहीं करना है।
 
नोट -विशेष ध्यान रखिएगा श्वास लेने और निकालने में स्वास की आवाज नहीं आनी चाहिए दूसरी बात जितना समय हमें सांस लेने में लगे प्रयास करें उससे ज्यादा समय श्वास को निकालने में लगाने का और कोहनी को अपने कंधे के बराबर हो आदि छोटी-छोटी बातों का ध्यान रख कर बड़े-बड़े लाभ लिया जा सकता है।